सावन के पावन महीने की शुरुआत हो चुकी है. इसके साथ ही कांवड़ यात्रा भी शुरु हो गई है

इस दौरान शिवभक्त गंगातट से कलश में गंगाजल भरते हैं और कांवड़ पर बांधकर इसे शिवालय में लाते हैं

और शिवलिंग पर गंगाजल अर्पित करते हैं. कांवड़ यात्रा को बहुत ही कठिन माना जाता है

कांवड़ यात्रा करने वाले व्यक्ति को बहुत से नियमों का पालन करना होता है. कहते हैं

कांवड़ यात्रा कर शिवलिंग पर जल चढ़ाने से हर मनोकामना पूरी होती है

- कांवड़ यात्रा को लेकर कुछ नियम हैं जो बेहद कठिन होते हैं. कांवड़ यात्रा के दौरान कांवड़िए अपनी कांवड़ को जमीन पर नहीं रख सकते है.

- कांवड़ यात्रा के दौरान कांवड़िए बिना नहाए हुए कांवड़ को छूना पूरी तरह से वर्जित है.

- कांवड़ यात्रा के दौरान कांवड़िए किसी भी तरह का नशा जैसे भांग, मदिरा आदि. इसके साथ ही मांस, मछली जैसे किसी भी प्रकार के तामसिक भोजन का सेवन नहीं कर सकते..

- कांवड़ यात्रा के दौरान कांवड़िए कांवड़ को किसी पेड़ के नीचे भी नहीं रख सकते हैं. कांवड़ को ऐसे स्थान पर रखा जाता है जो जमीन से स्पर्श न हो.

- कांवड़िए को कांवड़ यात्रा के दौरान श्रंगार का सामान जैसे तेल, कंघी आदि का इस्तेमाल करने की भी मनाही होती है.