मन की शांति के लिए हम ईश्वरीय भक्ति का सहारा लेते है, जब परिस्थिति समझ से परे हो जाती है

तो हम भगवान की शरण में चले जाते है, और उस समय अपने अपने इष्ट की आराधना करने लगते है

हिंदू धर्म  में तैतीस करोड़ देवी देवता है, उनमें महाराज गणपति जी प्रथम पूज्य है

किसी भी कार्य की शुरुआत से पहले गणपति जी को निमंत्रण दिया जाता है

महाविद्याओं के आधार पर गणपति जी की कई प्रतिमाओं का उल्लेख कई वेदों और पुराणों में पढ़ने को मिलता है

इस लेख के माध्यम से जानेंगे कि किस समय गणपति के किस रूप की आराधना करनी चाहिए

सिद्धिविनायक का यह रूप चतु्र्भुजी होता है, उनकी चार भुजाओं में कमंडलु, अक्षमाला, पुष्प और त्रिशूल होते हैं

जिन लोगों को काफी प्रयासों के बाद भी सफलता हासिल नहीं हो रही है उन्हें सिद्धिदायक गणपति की स्थापना और पूजन करना चाहिए

धन कमाते तो लेकिन किसी न किसी कारण धन का खर्च बना रहता है

उन्हें धनदायक गणपति का पूजन अर्चन करना चाहिए