आचार्य चाणक्‍य ने जीवन के लगभग हर पहलू के बारे में अपने नीति शास्‍त्र चाणक्‍य नीति में जिक्र किया है

इसमें पाप-पुण्‍य, सफल और सुखद जीवन जीने के तरीके, रिश्‍तों, धन, दोस्‍ती, राजकाज समेत ढेरों मुद्दों के बारे में बताया गया है

इसमें रिश्‍ते निभाने को लेकर कई ऐसी बातें बताई गईं हैं, जिन्‍हें आज भी अपनाना चाहिए

वरना रिश्‍तों या परिवार को बिगड़ने में देर नहीं लगती है. इन रिश्‍तों में सबसे महत्‍वपूर्ण है माता-पिता और बच्‍चों का रिश्‍ता

लेकिन इसी रिश्‍ते में यदि एक गलती हो जाए तो इस पाप का बहुत बुरा फल भोगना पड़ता है

आचार्य चाणक्‍य कहते हैं कि माता पिता बनना जीवन का सबसे बड़ा सुख होता है

जब संतान तरक्‍की करती है तो उससे ज्‍यादा खुशी उसके माता-पिता को होती है

लेकिन कई बार संतान की एक गलती मां-बाप का दिल तोड़ देती है. धर्म-शास्‍त्रों में इस गलती को बड़े पाप का दर्जा दिया गया है

चाणक्य नीति कहती है कि एक मनुष्य हथियार से ज्यादा चोट अपने शब्दों से पहुंचा सकता है

कड़वे बोल ऐसी चीज हैं जिनके जरिए व्‍यक्ति बिना हाथ लगाए दूसरे व्‍यक्ति को बुरी तरह घायल कर सकता है