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Sadashiv Amrapurkar: धर्मेंद्र के लकी विलेन थे सदाशिव अमरापुरकर, ऐसा क्या कहाँ धर्मेंद्र ने खुश हो गए थे सदाशिव अमरापुरकर

Sadashiv Amrapurkar {नई दिल्ली}:- सदाशिव अमरापुरकर का नाम सुनकर आपके दिमाग में घंटी बजी या नहीं? छह साल पहले, हम सभी ने तात्या को देखा, जिनका आज ही के दिन निधन हुआ था और वे अपने मित्रों के प्रिय थे, उन्होंने ‘सड़क’ में एक किन्नर रानी की भूमिका निभाई थी। उस साल उन्हें उस रोल के लिए बेस्ट विलेन का अवॉर्ड मिला था। फिल्मों में खलनायक की भूमिका निभाने वाले सदाशिव अमरापुरकर वास्तव में अभिनय के अलावा अपने अन्य दो कामों के लिए अधिक प्रसिद्ध थे। आइए जानते हैं कौन से थे वो दो काम?

Sadashiv Amrapurkar

सदाशिव धर्मेंद्र के लकी चार्म थे

उन दिनों धर्मेंद्र अपने गिरते करियर को संवारने में लगे थे। धर्मेंद्र सोचते थे कि सदाशिव उनका लकी चार्म है। उन्होंने निर्माताओं से कहा था कि उनकी हर फिल्म में सदाशिव को कास्ट किया जाना चाहिए। हुआ यूं कि सदाशिव ने धर्मेंद्र की एक फिल्म में काम नहीं किया और फिल्म फ्लॉप हो गई। उस दिन धर्मेंद्र ने सदाशिव को फोन किया और कहा कि भाई प्लीज मेरी फिल्म के लिए वक्त निकालो। सदाशिव धर्मेंद्र की बात से द्रवित हो गए। इसके बाद से धर्मेंद्र की फिल्म में काम करते हुए उन्होंने कभी नहीं पूछा कि उनका रोल क्या है।

क्रिकेट खिलाड़ी

सदाशिव क्रिकेट बहुत अच्छा खेलते थे और रणजी ट्रॉफी में भी हिस्सा लेते थे। लेकिन उस समय उन्हें नाटकों में काम करने का मौका मिला और क्रिकेट को अलविदा कह उन्होंने मराठी फिल्मों और नाटकों में काम करना शुरू कर दिया। नाटक में उनके काम को देखते हुए गोविंद निहलानी ने उन्हें फिल्म अर्धसत्य में कास्ट कर लिया। इस फिल्म में सदाशिव की एक्टिंग को काफी सराहा गया और उन्हें बेस्ट कैरेक्टर आर्टिस्ट का अवॉर्ड भी मिला। इसके बाद ‘सड़क’ ने उनकी जिंदगी बदल दी और वे मशहूर विलेन बन गए।

Sadashiv Amrapurkar

समाज सेवा का जुनून

सदाशिव अमरापुरकर को शुरू से ही समाज सेवा का बहुत शौक था। वह अपना समय निकालकर गरीब लोगों की मदद करते, आसपास के वातावरण को सुधारते। छुट्टियों में वह कभी घर पर नहीं रहता था। मौत के कुछ दिन पहले भी वे इसी तरह के मुद्दे पर बात करने गए थे। उस साल मुंबई में पानी की भारी किल्लत हुई थी। सदाशिव ने कहा कि मुंबई के लोगों को होली पर पानी बर्बाद नहीं करना चाहिए। इसी बात को लेकर कहासुनी हुई और कुछ लोगों ने उसके साथ मारपीट की। इसके बाद सदाशिव कभी उबर नहीं पाए। उन्हें इंफेक्शन हो गया और 3 नवंबर 2014 को उन्होंने इस दुनिया को अलविदा कह दिया।

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